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बुधवार

लोक संस्कृति के ऐतिहासिक विकास की दस्तावेज़ ‘मड़ई’- 2010



लोक संस्कृति की अस्तित्व रक्षा, उसके संरक्षण - संवर्द्धन की चिन्ता, उसकी सार्थकता को पग-पग पर चिह्नित करते हुए उसकी नई अवधारणा विकसित करने में ‘मड़ई’ की महती भूमिका है।
मड़ई-2010 का यह अंक लोकनाट्य पर केन्द्रित है। लोकनाट्य मानव जाति की सामूहिक सर्जनात्मकता को अभिव्यक्त करने में सर्वाधिक सक्षम विधा है। सैतालिस गवेष्णात्मक एवं शोधात्मक आलेखों से सुसज्जित इस अंक में लोकनाट्य के विभिन्न रूपों और शैलियों को रूपायित ही नहीं किया है- बल्कि लोक संस्कृति में आधुनिक चिन्तन एवं विचारों को भी विस्तार दिया गया है। इस प्रकार हम देख रहे हैं कि लोक संस्कृति की भूमिका की आधार भूमि अब ठोस धरातल का स्वरूप ग्रहण कर रही है। 
यह अंक सम्पूर्ण भारत की लोक संस्कृति के ऐतिहासिक विकास एवं वैभवशाली परम्परा का अनमोल दिग्दर्शन है। 
इस क्षेत्र में ‘मड़ई’ परिवार की अटल प्रतिवद्धता सफल हो, सार्थक हो,- यही कामना है।   

मड़ई
सम्पादक: डा. कालीचरण यादव
बनियापारा, जूना बिलासपुर, बिलासपुर-495001.
मो.- 098261 81513.

1 टिप्पणी:

punamlatasinha ने कहा…

badhai, badhai.. is rochak janakari ke liye.

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