यह डा. वीरेन्द्र ‘आज़म’ और उनके टीम की इच्छा शक्ति, संकल्प और समर्पण का ही परिणाम रहा कि ‘शीतल वाणी’ का ’कमला प्रसाद स्मृति अंक’ सामने आ सका। यह अंक उस महान शख्सि़यत को समर्पित है जिनके योगदान को साहित्यिक व सांस्कृतिक जगत आसानी से भुला नहीं सकता। कमला प्रसाद जी ने एक संपादक, लेखक व संगठनकर्ता के रूप में जो उदाहरण रखे थे वे बेमिसाल हैं। स्वयं संपादक के अनुसार - प्रोफेसर कमला प्रसाद! आलोचक कमला प्रसाद! विचारक कमला प्रसाद! कमाण्डर कमला प्रसाद! वसुधा के संपादक कमला प्रसाद! प्रलेस के रष्ट्रीय महासचिव कमला प्रसाद! व्यक्ति एक संबोधन अनेक! यानी बहुआयामी व्यक्तित्व। वस्तुतः स्नेहिल स्वभाव के धनी, लोकप्रिय अध्यापक, आलोचक और संगठनकर्ता डा. कमला प्रसाद के लिए प्रगतिशील लेखक संध एक परिवार था। वे सुख-दुख के के साथी थे। सही मायने में वे एक लेखक से बढ़कर व्यवहार कुशल व्यक्तित्व थे। उनमें प्रतिवद्धता के साथ-साथ सहिष्णुता का समभाव था, सहजता और व्यस्तता उनकी फितरत थी। ऐसे शख्स की स्मृति को ‘शीतल वाणी’ ने सहेज कर साहित्य जगत का बड़ा उपकार किया है। पत्रिका के इस अंक में दिनेश कुशवाहा का ‘उनके आगे मिसालों की आबरू क्या है’ शीर्षक से महत्वपूर्ण संस्मरण है। अरुण आदित्य, विष्णु नागर, राजेश जोशी, पूनम सिंह, डा. सुधेश, अरुण शीतांश, नरेन्द्र पुण्डरीक, प्रदीप मिश्र, जितेन्द्र विसारिया, राजेन्द्र लहरिया, उषा प्रारब्ध ने अपने संस्मरणों में कमला जी के व्यक्तित्व व कृतित्व के साथ उनके साथ अपने संस्मरण को रेखांकित किया है। डा. कपिलेश भोज, प्रदीप सक्सेना, कुमार अंबुज, ज़ाहिद खान, अरविन्द श्रीवास्तव, योगेन्द्र कुमार, सिद्धार्थ राय, सेवाराम त्रिपाठी और विशाल विक्रम सिंह के आलेख तथा शैलेन्द्र शैली का साक्षात्कार अंक को एक ऐतिहासिक दस्तवेज़ की शक्ल प्रदान करता है। साथ ही कई कविताओं ने ‘शीतल वाणी’ के इस अंक को मूल्यवान बना दिया है।
शीतल वाणी (कमला प्रसाद स्मृति अंक), संपादक- डा. वीरेन्द्र ‘आज़म’, 2 सी/755, पत्रकार लेन, प्रद्युमन नगर, मल्हीपुर रोड, सहारनपुर (उ.प्र.) मोबाइल- 09412131404.
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