साहित्य की प्रगतिशील धारा के प्रतीक पुरुष बाबा नागार्जुन आज नहीं हैं लेकिन उनकी महान विरासत हमारे साथ है। बिहार के मिथिलांचल का एक गांव तरौनी इसलिए धन्य है कि वहीं नागार्जुन जैसे दुर्धर्ष कवि का जन्म हुआ था। उसकी रचनाओं में वहाँ की मिट्टी, पानी और हवा के सुवास हैं। मैथिली के इस महान रचनाकार ‘यात्री’ को वहाँ अत्याधिक सम्मान प्राप्त है।
बिहार प्रगतिशील लेखक संध ने अपने परमप्रिय कवि बाबा नागार्जुन की जन्मशताब्दी के अवसर पर 25 जून, 2010 को 2 बजे जन्मभूमि तरौनी में उनके अवदान को सम्मान देने हेतु राष्ट्रीय समारोह का आयोजन किया है।
मुख्यवक्ताः- डॉ. नामवर सिंह,
डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी,
डॉ. कमला प्रसाद,
डॉ. खगेन्द्र ठाकुर,
डॉ. चैथी राम यादव,
प्रो. अरुण कमल,
प्रो. वेदप्रकाश,
गीतेश शर्मा आदि हैं।
बिहार प्रलेस इकाई प्रबुद्ध साहित्यकारों-साहित्यप्रेमियों एवं प्रलेस सदस्यों को तरौनी आने का आमंत्रण देती है।
-महासचिव-सह-स्वागताध्यक्ष
राजेन्द्र राजन
मो.- 09471456304, 07631520875.