दर्जन भर कहानियों को खूबसूरत फ्रेम में जड़ कर समकालीन कथा-परिदृश्य को समृद्ध व गतिशील बनाते हुए कथा लेखिका पूनम सिंह की कथाएँ-
‘कस्तूरीगंध तथा अन्य कहानियाँ’ संग्रह के रूप में सामने आयी है। उन्होंने इस माध्यम से स्त्री-विमर्श पर एक नयी दृष्टि के साथ एक और सांकल खोलती है। अपनी कहानियों में वे जहाँ स्त्री-पुरूष के रिश्तों पर पुरूष की वर्चस्ववादी नजरिये को चुनौती देते दिखती है वहीं कहानी ‘कैंसर’ में स्त्री की व्यामोहिक महत्वाकांक्षी उड़ान से खंडित होते परिवार का चित्रण करती है। संग्रह की अधिकांश कहानियाँ भूमंडलीयकरण और बाजारवाद के यथार्थ से उत्पन्न ‘माल-कल्चर’ वाले ऐसे वर्ग की कहानियाँ है जहाँ, ‘प्रेम, सेक्स और धोखा’ के साथ भौतिकता का ताना बाना है, जो अक्सर संवेदनाओं में सूराख करती दिखती है। गहन सूक्ष्मता संजोए संग्रह की तमाम कहानियों की भाषा में प्रवाह, सुदृढ़ शिल्प एवं फलक बहुरंगी हैं। औरत-मर्द के सम्बन्ध, पारिवारिक जीवन, ग्रामीण राजनीति जैसे विषयगत वैविध्यता का एक नया अध्याय खोलता है यह संग्रह। कहानियों की अन्तर्वस्तु इस समय और भावी समय की भयावहता की बारीकियों से विश्लेषण करते दिखती है।
कविता सहित कहानियों में समान दखल रखनेवाली पूनम की रचनाएँ - हंस, वसुधा, दोआबा, अक्षरा, वागर्थ’ वर्तमान साहित्य व जनमत सदृश्य पत्रिकाओं में सराही गयी हैं। ‘कस्तूरीगंध तथा अन्य कहानियाँ ’ कथा-जगत के लिए पूनम सिह का एक नायाब तोहफा है जिसका पुरजोर स्वागत किया जा सकता है...।
संपर्कः पूनम सिंह
प्राघ्यापकः हिन्दी विभाग,
एम.डी.डी.एम. कालेज, मुजफ्फरपुर, बिहार
मोबाइलः 09431281949.