नासिरा शर्मा का साहित्य जहाँ इलाहाबाद से ईरान तक फैला है, वहीं इनकी शख्सि़यत का दायरा भी अगम अपार है। पटना से प्रकाशित ‘राष्ट्रीय प्रसंग’ के ताजा अंक का विशिष्ट आकर्षण है समकालीन कथा साहित्य के चर्चित हस्ताक्षर नासिरा शर्मा। वह एक साथ -‘मरजीना का देश -इराक’ से लेकर ‘झाँसी का वह बूढ़ा किला और वेतवा का वह हरियाला जोवन’ के किस्से बुन और सुना सकती है। नासिरा की जन्मजात विद्रोही अन्तर्व्यक्तित्व से लबरेज है उनकी कथा शैली। ‘राष्ट्रीय प्रसंग’ का यह अंक हिन्दी में विश्वभाव की लेखिका नासिरा शर्मा के सम्बन्ध में भरपूर सामग्रियों से भरा है।
इसके अतिरिक्त चर्चित कवि सुधीर सक्सेना की चार कविताएँ ‘हरित बांस की बाँसुरी इन्द्रधनुष दुति होति’ को स्मरण करा देती है। प्रस्तुत है उनकी ’नियति’ कविता-
मैंने तुम्हें चाहा
तुम धरती हो गयी
तुमने मुझे चाहा
मैं आकाश हो गया
और फिर
हम कभी नहीं मिले ,
वसुंधरा!
‘राष्ट्रीय प्रसंग’
संपादकः
विकास कुमार झा, पटना.
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