ब्लॉगर पर नई सुविधा- लेबल क्लाउड (label cloud)
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ब्लॉगर सेवा के दस साल पूरे होने के साथ ही चिट्ठाकारों को नई सौगातें मिलने
का सिलसिला शुरू हो गया है। ब्लॉगर संचालित चिट्ठों पर लेबल क्लाउड की
बहुप्रतीक्षित...
रविवार
आज ‘हिन्दुस्तान’ दैनिक में प्रकाशित कविता की कुछ पंक्तियाँ ब्लोगर मित्रों को सप्रेम....
आज 20 दिसम्बर’09 को हिन्दुस्तान दैनिक (रीमिक्स) पटना, मुजफ्फरपुर एवं भागलपुर संस्करण में प्रकाशित अपनी कविता ‘अफसोस के लिए कुछ शब्द’ की कुछ पंक्तियाँ ब्लोगर मित्रों को सादर भेंट कर रहा हूँ.... प्रतिक्रिया अपेक्षित ।
...... हमें बातें करनी थी पत्तियों से
और इकट्ठा करना था तितलियों के लिए
ढेर सारा पराग
..... ........
हमें रहना था अनार में दाने की तरह
मेंहदी में रंग
और गन्ने में रस बनकर
हमें यादों में बसना था लोगों के
मटरगश्ती भरे दिनों सा
और दौड़ना था लहू बनकर
सबों की नब्ज में
अफसोस कि हम ऐसा
कुछ नहीं कर पाये...
जैसा करना था हमें..।
-अरविन्द श्रीवास्तव,अशेष मार्ग, मधेपुरा,मो-०९४३१० ८०८६२.
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6 टिप्पणियां:
बहुत बहुत बधाई !!
बेहतरीन कविता ...वैसे आज सबेरे-सबेरे अखबार में पढ़ लिया था , बधाई...!
बेहतरीन कविता ..
बहुत बहुत बधाई !!
अच्छे शब्द
बेहतर भाव
कविता बहुत अच्छी लगी, भाई!
अच्छी कविता
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