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मंगलवार

केदार की कविताओं में प्रेम और जनमुक्ति का संघर्ष... मुजफ्फरपुर में केदारनाथ अग्रवाल जन्मशती समारोह सम्पन्न!

समारोह का शुभारंभ करते डा.व्रजकुमार पाण्डेय, डा. खगेन्द्र ठाकुर, डा.विजेन्द्र्नारायण सिंह एवं नरेन्द्र पुण्डरीक


बिहार प्रलेस के महासचिव राजेन्द्र राजन
  नागार्जुन, केदार, त्रिलोचन, शमशेर और मुक्तिबोध हिन्दी में प्रगतिशील काव्य-सृष्टि के ‘पांच रत्न’ हैं। प्रगतिशील साहित्य का आन्दोलन भक्ति आन्दोलन के समान महाप्रतापी मान्य हुआ तो उसमें इन पाँच रत्नों की ऐतिहासिक भूमिका है। ये वस्तुतः इतिहास निर्माता कवि हैं। इनकी चौथे दशक की कविताएँ ही प्रगतिवाद की आधार-सामग्री थीं। इनमें केदारनाथ अग्रवाल, रामविलास शर्मा के सखा और कदाचित समकालीनों में सर्वाधिक प्रिय कवि थे। केदार साम्राज्यवाद, सामन्तवाद , पूँजीवाद, व्यक्तिवाद और संप्रदायवाद के शत्रु कवि थे... बिहार प्रगतिशील लेखक संध द्वारा मुजफ्फरपुर में आयोजित ‘केदारनाथ अग्रवाल की कविता और उसका समय’ विषयक परिचर्चा में आलेख पाठ करते हुए आलोचक रेवती रमण ने यह बात कही।
    इससे पहले डा. रानी श्रीवास्तव ने केदारनाथ अग्रवाल की कविता - हवा हूँ, हवा हूँ, वसंती हवा हूँ... का सस्वर पाठ किया।  डा. पूनम सिंह ने केदार के काव्य-व्यक्तित्व में मानवीय संवेदनाओ को रेखांकित करते हुए कहा कि केदार की कविता कठिन जीवन-संघर्षों के बीच अदम्य जिजीविषा बनाये रखने वाले स्त्रोतों की खोज करती है, वे मूलतः किसानी संवेदना के कवि हैं, उनकी कविताएँ उनके बाँदा जनपद की संस्कृति से जुड़ी हुई है। ‘नागार्जुन के बाँदा आने पर’ उन्होंने जो कविता लिखी उसमें उनके गाँव का पूरा चित्र प्रतिबिम्बित है। केदार का समस्त कविकर्म अभिजन के दायरे से बाहर जाकर गरीब किसानों, कामगार मजदूरों, दलित-स्त्रियों के पक्ष में खड़ा है। केदार का कवि सामंती वर्चस्व का अतिक्रमण कर मानव मूल्यों की वकालत करता है तथा मुक्तिबोध की तरह अभिव्यक्ति के खतरे उठाने को सदैव तत्पर है।
    बिहार प्रलेस के महसचिव राजेन्द्र राजन ने अपने संबोधन में कहा कि केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिशीलता के प्रतिमान हैं। उनकी रचनाएँ प्रतिवद्ध साहित्य का नमूना है। वे परिवर्तन को अवश्यंभावी मानते थे, तभी तो उन्होंने लिखा भी - एक हथौड़े वाला घर में और हुआ / हाथी से बलवान जहाजी हाथों वाला / और हुआ / दादा रहे निहार सवेरा करने वाला /और हुआ / एक हथौड़ा वाला घर में और हुआ
    बाँदा से आये नरेन्द्र पुण्डरीक ने कहा कि केदारनाथ अग्रवाल की कविता हमारे समाज की विडम्बनाओं एवं त्रासदियें से सीधे साक्षात्कार कराते हुए जिस तरह से अपने परिवेश के उपादानों, नदी-पहाड़-खेत, पेड़ आदि को एक नयी पहचान देकर उनके प्राकृत सौन्दर्य को अपने यहाँ के आदमी को विसंगतियों से उवारने एवं उसकी पहचान को बनाने एवं उसे सामने लाने का जो कार्य केदार की कविता ने किया है, उसकी मिसाल प्रगतिशील हिन्दी कविता में दूसरी नहीं है।
    डा.विजेन्द्रनारायण सिंह ने  कहा कि केदार की कविताओं में प्रगतिशीलता प्रयोगवाद और नई कविता का समन्वित प्रवाह है। प्रो. तरुण कुमार ने केदार को किसानी संस्कृति  और चेतना में हिन्दी का सर्वाधिक प्रतिवद्ध कवि बताया। पूर्व कुलपति डा. रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि प्रमाणिक मूल्यों एवं मानवीय  संदर्भ के दृष्टिकोण से केदारनाथ अग्रवाल की कविता हमें रास्ता दिखाती है।समारोह के उदघाटनकर्त्ता  डा. व्रजकुमार पाण्डेय ने कहा कि केदारनाथ अग्रवाल आजादी से लेकर साम्राज्यवाद से मुक्ति के लिए लड़ रही दुनिया के लिए काव्य रचनाएँ की है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  वरिष्ठ आलोचक खगेन्द्र ठाकुर ने केदारनाथ अग्रवाल को ग्रामीण संवेदना के साथ ही क्रांतिकारी कवि की संज्ञा दी उन्होंने कहा कि उनकी कविताओ में लड़ाकू मनुष्य दिखायी पड़ता है, जो नये समाज के लिए लड़ रहा है। इस सत्र का मंच संचालन कवियत्री एवं कथालेखिका पूनम सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रवण कुमार ने किया ।
    आयोजन के दूसरे सत्र में कवि-सम्मेलन आयोजित हुआ। जिसमें मुजफ्फरपुर सहित बिहार के विभिन्न हिस्सों से आये कवियों की भागीदारी रही। नरेन्द्र पुण्डरीक (बाँदा), शहंशाह आलम,  अरविन्द श्रीवास्तव, अरुण शीतांश,  अली अहमद मंजर, श्रीमती मुकुल लाल, अरविन्द ठाकुर, नूतन आनंद, देव आनंद, डा. विनय चौधरी, रश्मि रेखा, आशा अरुण, पुष्पा गुप्ता, श्वाति, सुनीता गुप्ता, संजय पंकज,  मीनाक्षी मीनल, श्यामल श्रीवास्तव, श्रवण कुमार, राजीव कुमार, रानी श्रीवास्तव, अंजना वर्मा आदि ने अपने काव्य-पाठ से आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। इस सत्र का संचालन युवाकवि रमेश ऋतंभर ने किया तथा अध्यक्षता  प्रो. रवीन्द्रनाथ राय ने की। मुजफ्फरपुर में आयोजित इस आयोजन की धमक काफी समय तक महसूस की जायेगी।       

3 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास। आयोजकों को शुभकामनायें।

सुनील गज्जाणी ने कहा…

अरविन्द भाई साब !
प्रणाम !
अच्छे कार्यक्रम और आयोजन के लिए आप को और आप कि कुशल टीम को बहुत बहुत बधाई !
सादर

Dr. amrenra ने कहा…

Kedarnath ji ke rachna sansar par Revti raman ke sath anye vidwan
aalochkon ke vichar sahi hi hain. Aysi sangosthi aayojit karne aur
isse awagat karane ke liye aabhar.
-Dr. Amrendra
Sarai, Bhagalpur. bihar

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