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शुक्रवार

देश व समाज के प्रति लेखकों की चिंता घटीः अरुण कमल



समकालीन साहित्यिक तथा सामाजिक परिदृश्य विषय पर विचार-गोष्ठी

 देश और समाज के प्रति लेखकों की चिंता घटी है। पहले लेखक सांप्रदायिकता, हत्या, बलात्कार, मंहगाई, बेरोजगारी के खिलाफ सड़क पर उतरते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। वहीं ऐसे विषयों पर लेखकों के बयान भी कम आ रहे हैं।  ये बातें वरिष्ठ कवि अरुण कमल ने पटना स्थित जनशक्ति भवन सभागार में बिहार प्रगतिशील लेखक संध द्वारा आयोजित ‘समकालीन साहित्यिक तथा सामाजिक परिदृश्य’ विषयक विचार गोष्ठी के दौरान कही। 
उन्होंने कहा कि आज आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है।  ग्रीन हंट के नाम पर अपने ही लोगों के विरुद्ध कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहा कि लेखकों को चाहिए कि वे जनआंदोलन का समर्थन करें आज की सत्ता सिर्फ पूँजीपतियों और विदेशियों को खुश करने में लगी है। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध आलोचक डा. खगेन्द्र ठाकुर ने कह कि आज युवा शक्ति को पूरे साल क्रिकेट के उन्माद में फंसाकर रखा जा रहा है। क्रिकेट ने युवा शक्ति को इस कदर भरमा दिया है कि वह भूख और बेरोजगारी के बारे में न सोचकर चीयर्स लीडर के बारे में अधिक सोच रहे हैं । उन्होंने कहा कि सरकार परिर्वतन हुआ, सत्ता परिर्वतन नहीं हुऔ। योगेन्द्र कृष्णा ने लेखक की इमानदारी को सबसे अहम बताया। अरविन्द श्रीवास्तव ने साहित्य के विस्तृत दायरे को बताते हुए कविता को संघर्ष का हथियार बताया तथा इंटरनेट पर कविता की विस्तृत दुनिया से अवगत कराया। इस अवसर पर डॉ. मुसाफिर बैठा, परमानन्द राम और हृदयनारायण झा आदि लेखकों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन चर्चित कवि शहंशाह आलम ने किया।   

शनिवार

तुम इतने समीप आओगे मैंन कभी नहीं सोचा था......- डा. बुद्धिनाथ मिश्र मधेपुरा में।




धेपुरा की ऐतिहासिक साहित्यिक परम्परा को सम्वर्द्धित करते हुए बी. एन मंडल विश्वविधालय, मधेपुरा के वर्तमान कुलपति डा. आर. पी. श्रीवास्तव के सद्प्रयास से विश्वविधालय के सभागार में काव्य संध्या का एक महत्वपूर्ण आयोजन किया गया। विश्वविधालय स्थापना के 17 वर्षों में यह पहला मौका था जब साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा (कविता)  पर रचनाकारों का इस तरह भव्य समागम हुआ। विशिष्ठ अतिथि एवं गीतकाव्य के शिखर पुरुष डा. बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून)  सहित अन्य कवियों को श्रोताओं ने जी भर सुना। कवियों में डा. रवीन्द्र कुमार ‘रवि’, डा. कविता वर्मा, डा.पूनम सिंह, रमेश ऋतंभर (मुजफ्फरपुर) डा. रेणु सिंह, डा. एहसान शाम, रेयाज बानो फातमी, (सहरसा)  डा. विनय चौधरी, अरविन्द श्रीवास्तव (मधेपुरा) ने काव्य पाठ किया। डा. बुद्धिनाथ मिश्र ने एक मुक्तक से काव्य पाठ आरम्भ किया - राग लाया हूँ, रंग लाया हूँ, गीत गाती उमंग लाया हूँ। मन के मंदिर मे आपकी खातिर, प्यार का जलतरंग लाया हूँ।  

डा. मिश्र ने अपने कई गीतों का सस्वर पाठ किया, देखें कुछ की बानगी-

नदिया के पार जब दिया टिमटिमाए
अपनी कसम मुझे तुम्हारी याद आये.....

मोर के पाँव ही न देख तू
मोर के पंख भी तो देख 
शूल भी फूल हैं बस इक नजर
गौर से जिन्दगी तो देख.....

एक बार और जाल फेंक रे मछेरे 
जाने किस मछली में बंधन की चाह हो.......

तुम इतने समीप आओगे मैंन कभी नहीं सोचा था......

काव्य संध्या की अध्यक्षता करते हुए डा. रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कविता को मानव हृदय का स्पंदन कहा। उन्होंने अपनी कविता कुछ इस तरह सुनायी-

जंग, धुआं, गम के साये में जैसे-तैसे रात ढ.ली
एक कली चटकी गुलाब की, सुबह जो तेरी बात चली........।

इस अवसर पर प्रकृति भी मेहरबान दिखी, बारिश की हल्की फुहार के साथ इस यादगार काव्य संध्या का समापन हुआ।

डा.बुद्धिनाथ मिश्र की कविताओं के लिए यहाँ क्लिक करें

गुरुवार

आलोक श्रीवास्तव और प्रेम भारद्वाज को लाला जगतज्योति प्रसाद सम्मान











र्चित युवा ग़ज़लकार आलोक श्रीवास्तव और मासिक पत्रिका ‘पाखी’ के संपादक प्रेम भारद्वाज को वर्ष 2010 का लाला जगतज्योति प्रसाद सम्मान दिया जाएगा। साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय युवाओं को दिया जाने का यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रतिवर्ष 4 अप्रैल को लाला जगत ज्योति प्रसाद की पुण्य तिथि पर दिया जाता है। इस सालउनकी बारवीं पुण्यतिथि पर समकालीन साहित्य मंच, मुंगेर की ओर से यह सम्मान, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और 'वागर्थ' पत्रिका के संपादक व आलोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह देंगे। पेशे से टीवी पत्रकार आलोक श्रीवास्तव अपने पहले ही ग़ज़ल संग्रह 'आमीन' से इन दिनों ख़ूब चर्चा में हैं और हाल ही में उनकी ग़ज़लों को मशहूर गायक जगजीत सिंह व प्रख्यात शास्त्रीय गायिका शुभा मुदगल ने अपने एलबम्स में गाया है साथ ही प्रेम भारद्वाज द्वारा संपादित मासिक पत्रिका 'पाखी' ने बहुत ही कम समय में साहित्य जगत में अपनी एक विशिष्ठ जगह बनाली है। जिसे देखते हुए सम्मान समिति ने इस वर्ष के सम्मान हेतु इन दोनों युवाओं को चुना है। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. राम लखन सिंह यादव, डा. प्रेम कुमार ‘मणि’ डा. कुणाल कुमार एवं डा. भगवान सिंह मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र करेंगे। 4 अप्रैल 2010 को शाम 6.30 बजे मुंगेर के शिक्षक संघ में आयोजित होने वाले इस समारोह के संयोजक वरिष्ठ गजलकार अनिरूद्ध सिन्हा हैं।
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