Kostenlose Uhr fur die Seite website clocks

सोमवार

अंधेरे में रोशनी की सेंध लगाने को बेचैन कविताएँ

रश्मिरेखा की अधिकांश कविताएं स्त्री सुलभ गहरे विषाद के साथ अपनी सीधी-सादी बनावट में दूर तक असर करती है। यानी अक्षर कम अर्थ अधिक। ‘अरथ अधिक आखर अतिथोरे’।  अँधेरे में रोशनी की सेंध लगाने वाली इस कवयित्री की प्रगतिगामी उम्मीद से भरी कविताओं में युगबोध को उकेरने की अद्भुत क्षमता है। देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं यथा - पहल, आलोचना, हंस, नया ज्ञानोदय, वागर्थ, इंडिया टुडे, पाखी, समकालीन भारतीय साहित्य आदि में प्रकाशित इनकी रचनाएँ समकालीन साहित्य-जगत में जोरदार उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। प्रकाशन संस्थान से प्रकाशित इनका काव्य-संग्रह ‘सीढि़यों का दुख’ महत्वपूर्ण कृति है। इनकी दो कविताएँ ‘जनशब्द’ पर सहर्ष प्रस्तुत है-  

राग-बीज

तुम्हारे नेह की रोशनाई ने
भर दिए मेरी कलम के अशेष शब्द
जिसे तुम्हीं ने दिया था कभी
बनाये रखने को वजूद
तुम्हारे नाम का एक-एक अक्षर
बोने लगा राग-बीज
बदलने लगे जीने का अर्थ
समय पर अंकित हो गया इंतज़ार
अच्छी लगने लगीं
किताबों की बातें
बेमतलब की बातें
दुनिया जहान की बातें
आत्मा में गहरे उतर आया
मेरे नाम में निहित तुम्हारा नाम

सीढि़याँ

सीढि़यों पर चढ़ते हुए
हमने कब जाना
सीढि़याँ सिर्फ चढ़ने के लिए नहीं
उतरने के लिए भी होती है

इतनी जद्दोजहद के बाद
चढ़ सके जितनी
हर बार उससे कहीं ज़्यादा उतरनी पड़ी सीढि़याँ

बचपन की यादों में
शामिल है साँप-सीढ़ी का खेल

फ़ासले तय करेंगे हौसले एक दिन
बस इसी इंतजार में
बिछी रहती है सीढि़याँ
पाँवों के नीचे सख़्त जमीन की तरह
....
संपर्कः निराला निकेतन के पीछे, झुनी साह लेन,
रामबाग रोड, मुजफ्फरपुर-842001. बिहार
मोबाइल- 09430051824
                                                                                  रश्मिरेखा की अन्य कविताएँ यहाँ भी


                                                

गुरुवार

मरना अब एक मामूली-सी लाचारी है... नीलाभ की कविता

दिल्ली-दर्शन

इस बस्ती में
ख़्वाब भी नहीं आते इस बस्ती में
आते हैं तो बुरे ही आते हैं
सोने को जाता हूँ मैं घबराहट में
आंख मूंदने में भी लगता है डर
जाने कैसी दीमकों की बांबी बनी है मस्ती में
हवा हो गए हैं नीले शफ़्फ़ाफ दिन
लो देखो गद्दियों पर आ बैठे वही हत्यारे
इस बार तो नकाबें भी नहीं है उनके चेहरों पर

जिंदगी मंहगी होती जाती है मौत सस्ती
मरना अब एक मामूली-सी लाचारी है
अक्सर दिन में कई-कई बार पड़ता है मरना

नीलाभ की कई अन्य कविताएँ ’दोआबा’ के ताजा अंक- 9 में

मंगलवार

केदार की कविताओं में प्रेम और जनमुक्ति का संघर्ष... मुजफ्फरपुर में केदारनाथ अग्रवाल जन्मशती समारोह सम्पन्न!

समारोह का शुभारंभ करते डा.व्रजकुमार पाण्डेय, डा. खगेन्द्र ठाकुर, डा.विजेन्द्र्नारायण सिंह एवं नरेन्द्र पुण्डरीक


बिहार प्रलेस के महासचिव राजेन्द्र राजन
  नागार्जुन, केदार, त्रिलोचन, शमशेर और मुक्तिबोध हिन्दी में प्रगतिशील काव्य-सृष्टि के ‘पांच रत्न’ हैं। प्रगतिशील साहित्य का आन्दोलन भक्ति आन्दोलन के समान महाप्रतापी मान्य हुआ तो उसमें इन पाँच रत्नों की ऐतिहासिक भूमिका है। ये वस्तुतः इतिहास निर्माता कवि हैं। इनकी चौथे दशक की कविताएँ ही प्रगतिवाद की आधार-सामग्री थीं। इनमें केदारनाथ अग्रवाल, रामविलास शर्मा के सखा और कदाचित समकालीनों में सर्वाधिक प्रिय कवि थे। केदार साम्राज्यवाद, सामन्तवाद , पूँजीवाद, व्यक्तिवाद और संप्रदायवाद के शत्रु कवि थे... बिहार प्रगतिशील लेखक संध द्वारा मुजफ्फरपुर में आयोजित ‘केदारनाथ अग्रवाल की कविता और उसका समय’ विषयक परिचर्चा में आलेख पाठ करते हुए आलोचक रेवती रमण ने यह बात कही।
    इससे पहले डा. रानी श्रीवास्तव ने केदारनाथ अग्रवाल की कविता - हवा हूँ, हवा हूँ, वसंती हवा हूँ... का सस्वर पाठ किया।  डा. पूनम सिंह ने केदार के काव्य-व्यक्तित्व में मानवीय संवेदनाओ को रेखांकित करते हुए कहा कि केदार की कविता कठिन जीवन-संघर्षों के बीच अदम्य जिजीविषा बनाये रखने वाले स्त्रोतों की खोज करती है, वे मूलतः किसानी संवेदना के कवि हैं, उनकी कविताएँ उनके बाँदा जनपद की संस्कृति से जुड़ी हुई है। ‘नागार्जुन के बाँदा आने पर’ उन्होंने जो कविता लिखी उसमें उनके गाँव का पूरा चित्र प्रतिबिम्बित है। केदार का समस्त कविकर्म अभिजन के दायरे से बाहर जाकर गरीब किसानों, कामगार मजदूरों, दलित-स्त्रियों के पक्ष में खड़ा है। केदार का कवि सामंती वर्चस्व का अतिक्रमण कर मानव मूल्यों की वकालत करता है तथा मुक्तिबोध की तरह अभिव्यक्ति के खतरे उठाने को सदैव तत्पर है।
    बिहार प्रलेस के महसचिव राजेन्द्र राजन ने अपने संबोधन में कहा कि केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिशीलता के प्रतिमान हैं। उनकी रचनाएँ प्रतिवद्ध साहित्य का नमूना है। वे परिवर्तन को अवश्यंभावी मानते थे, तभी तो उन्होंने लिखा भी - एक हथौड़े वाला घर में और हुआ / हाथी से बलवान जहाजी हाथों वाला / और हुआ / दादा रहे निहार सवेरा करने वाला /और हुआ / एक हथौड़ा वाला घर में और हुआ
    बाँदा से आये नरेन्द्र पुण्डरीक ने कहा कि केदारनाथ अग्रवाल की कविता हमारे समाज की विडम्बनाओं एवं त्रासदियें से सीधे साक्षात्कार कराते हुए जिस तरह से अपने परिवेश के उपादानों, नदी-पहाड़-खेत, पेड़ आदि को एक नयी पहचान देकर उनके प्राकृत सौन्दर्य को अपने यहाँ के आदमी को विसंगतियों से उवारने एवं उसकी पहचान को बनाने एवं उसे सामने लाने का जो कार्य केदार की कविता ने किया है, उसकी मिसाल प्रगतिशील हिन्दी कविता में दूसरी नहीं है।
    डा.विजेन्द्रनारायण सिंह ने  कहा कि केदार की कविताओं में प्रगतिशीलता प्रयोगवाद और नई कविता का समन्वित प्रवाह है। प्रो. तरुण कुमार ने केदार को किसानी संस्कृति  और चेतना में हिन्दी का सर्वाधिक प्रतिवद्ध कवि बताया। पूर्व कुलपति डा. रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि प्रमाणिक मूल्यों एवं मानवीय  संदर्भ के दृष्टिकोण से केदारनाथ अग्रवाल की कविता हमें रास्ता दिखाती है।समारोह के उदघाटनकर्त्ता  डा. व्रजकुमार पाण्डेय ने कहा कि केदारनाथ अग्रवाल आजादी से लेकर साम्राज्यवाद से मुक्ति के लिए लड़ रही दुनिया के लिए काव्य रचनाएँ की है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  वरिष्ठ आलोचक खगेन्द्र ठाकुर ने केदारनाथ अग्रवाल को ग्रामीण संवेदना के साथ ही क्रांतिकारी कवि की संज्ञा दी उन्होंने कहा कि उनकी कविताओ में लड़ाकू मनुष्य दिखायी पड़ता है, जो नये समाज के लिए लड़ रहा है। इस सत्र का मंच संचालन कवियत्री एवं कथालेखिका पूनम सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रवण कुमार ने किया ।
    आयोजन के दूसरे सत्र में कवि-सम्मेलन आयोजित हुआ। जिसमें मुजफ्फरपुर सहित बिहार के विभिन्न हिस्सों से आये कवियों की भागीदारी रही। नरेन्द्र पुण्डरीक (बाँदा), शहंशाह आलम,  अरविन्द श्रीवास्तव, अरुण शीतांश,  अली अहमद मंजर, श्रीमती मुकुल लाल, अरविन्द ठाकुर, नूतन आनंद, देव आनंद, डा. विनय चौधरी, रश्मि रेखा, आशा अरुण, पुष्पा गुप्ता, श्वाति, सुनीता गुप्ता, संजय पंकज,  मीनाक्षी मीनल, श्यामल श्रीवास्तव, श्रवण कुमार, राजीव कुमार, रानी श्रीवास्तव, अंजना वर्मा आदि ने अपने काव्य-पाठ से आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। इस सत्र का संचालन युवाकवि रमेश ऋतंभर ने किया तथा अध्यक्षता  प्रो. रवीन्द्रनाथ राय ने की। मुजफ्फरपुर में आयोजित इस आयोजन की धमक काफी समय तक महसूस की जायेगी।       
Related Posts with Thumbnails