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बुधवार

चिड़ियाँ


चिड़ियों का हौसला देखिए
वो चाहे जहाँ आ-जा सकती है
सवर्णों के कुओं पर पानी पीती है
हरिजनों के घरों के दाने चुगती है
हम ऐसा कुछ भी तो नहीं कर सकते
ऐसा करने के लिए हममें
चिड़ियों-सा हौसला चहिए ।

- शहंशाह आलम
युवा कवि शहंशाह आलम की कविताओं का एकल काव्य-पाठ १५ मार्च ०९ को मधेपुरा के कौशिकी क्षेत्र साहित्य सम्मेलन भवन में आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति डा रमेन्द्र कुमार यादव 'रवि', साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव 'शलभ' एवं डा भूपेन्द्र ना० यादव 'मधेपुरी' थे। आयोजन में इस कविता की च्रर्चा विशेष रुप से की गयी।

मंगलवार

एक मृत सर्प का बयान


मारा गया मुझे
खदेड़ कर
घेर कर

मारा गया मुझे
बीहड़ों में
पुलिस मुठभेड़-सा
सड़कों पर किसी दुर्घटना-सा
घरों में स्टाइल बदल-बदल कर
मारा गया मुझे

मरते वक्त सुना मैने
शस्त्र सज्जित मेरे हत्यारे
कह रहे थे-
यह खतरनाक जाति का है
बिल्कुल विषैली प्रजाति का है !

- अरविन्द श्रीवास्तव, मधेपुरा
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