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मंगलवार

’राइफल’ एक छोटी कविता







राइफलें
जो किसी पत्ते की खड़खड़ाहट
कि दिशा में
तड़-तड़ा उठी थीं
और किसी संकट को टाल देने की
विजय मुद्रा में
चाहता था राइफलधारी मुस्कुराना

जिसे बड़े ही ध्यान से
देख रहा था
पत्ते की ओट से
एक चूहा !

-अरविन्द श्रीवास्तव, मधेपुरा

1 टिप्पणी:

M VERMA ने कहा…

बहुत खूब
शायद राईफलो का सच यही है

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