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मंगलवार

डॉ. देवसरे को साहित्‍य अकादेमी का बालसाहित्‍य पुरस्‍कार 2011


    हिन्‍दी में साहित्‍य अकादेमी का बालसाहित्‍य पुरस्‍कार 2011 वरिष्‍ठ बालसाहित्‍यकार डॉ. हरिकृष्‍ण देवसरे को उनके आजीवन योगदान के लिए आज उनके आवास (ब्रजविहार, गाजियाबाद) पर साहित्‍य अकादेमी के उपसचिव श्री ब्रजेन्‍द्र त्रिपाठी के हाथों प्रदान किया गया। पुरस्‍कार के अंतर्गत 50,000 रुपये की राशि का चेक और प्रतीक चिह्न शामिल हैं। इसके पहले उन्‍होंने पुष्‍पगुच्‍छ और शॉल ओढ़ाकर डॉ. देवसरे का अभिनंदन किया। उन्‍होंने प्रशस्‍ति-पाठ करते हुए डॉ. देवसरे के अमूल्‍य योगदान को रेखांकित किया। इस अवसर पर उनके पुत्र श्री शशांक, पुत्री श्रीमती शिप्रा, पत्‍नी श्रीमती विभा देवसरे तथा बालसाहित्‍य लेखक श्रीमती शांता ग्रोवर, श्रीमती मधुमालती जैन एवं देवेन्‍द्र कुमार देवेश (तीनों अकादेमी में कार्यरत) उपस्‍थित थे। ध्‍यातव्‍य है कि अकादेमी के बालसाहित्‍य पुरस्‍कार 24 भारतीय भाषाओं के लिए 14 नवंबर 2011 को अकादेमी के अध्‍यक्ष श्री सुनील गंगोपाध्‍याय के हाथों कोलकाता में समारोहपूर्वक प्रदान किए गए थे, जिसमें अपनी अस्‍वस्‍थता के कारण डॉ. देवसरे नहीं पहुँच पाए थे। पुरस्‍कार-प्राप्‍ित के बाद डॉ. देवसरे ने बालसाहित्‍य को प्रोत्‍साहित करने के लिए अकादेमी के प्रति आभार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि साहित्‍येतिहास के लोग अभी तक बालसाहित्‍य को साहित्‍य के इतिहास में सम्‍मिलित नहीं कर पाए, लेकिन अब निश्‍चित रूप से यह माना जाएगा कि बालसाहित्‍य साहित्‍य की एक ऐसी विधा है, जो निरंतर उन्‍नति कर रही है और अब वह ऐसे स्‍तर पर पहुँच गई है कि उसको इतिहास में भी महत्‍व मिलना चाहिए और मिलेगा, अवश्‍य मिलेगा। इस दिशा में काम भी हो रहा है और अच्‍छी बात ये है कि जो दृष्‍टिकोण है साहित्‍य अकादेमी का, वह नया है, आधुनिक है और वह समसामयिक है। 
- देवेन्‍द्र कुमार देवेश
उपसंपादक
साहित्‍य अकादेमी, नई दिल्‍ली, मो.- 09868456153
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