‘हिरनी बिरनी’, अंगप्रदेश की दो बनजारन युवतियों की लोकगाथा का हिन्दी उपन्यास है, जिसका नायक है पोषण सिंह। कथा के ये तीनों पात्र अंगप्रदेश की गंगा और कोशी के मिजाज को निचोड़ कर गढ़े गए हैं। हिरनी-बिरनी में कोशी नदी बहती है, और कोशी के पोषण सिंह में गंगा। और उपन्यास के आखिरी में कोशी गंगा में मिलकर गंगा की तरह शांत-गंभीर हो उठती है। उपन्यास का विषय और इसके पात्र, उपन्यास के शिल्प और इसकी शैली को अपने प्रभाव में लिए प्रवाहित होते रहते हैं; इसी से ‘हिरनी-बिरनी’ में शिल्प और शैली की कहीं तो झील है, कहीं भवरें, कहीं तो बाढ़ का बहाव और कहीं शरत काल की शांत धारा। इस छोटे-से उपंन्यास में पात्र, शिल्प-शैली का ऐसा रोचक संगठन, सिर्फ डा. मृदुला शक्ला से ही संभव था। एक पंक्ति में कहूँ, तो कहूँगा कि ‘हिरनी-बिरनी’ उपन्यास के काव्यशास्त्र के किसी आर्चाय की कृति है। - डा. अमरेन्द्र, भागलपुर.
लेखिका - डा. मृदुला शुक्ला, क्वा. नं. इ बी-10,
चन्द्रपुरा, बोकारो (झारखंड) मोबाइल- 09934611146.
2 टिप्पणियां:
"डा. मृदुला शुक्ला की पुस्तक ‘हिरनी बिरनी’ -अंग प्रदेश की लोककथा" से अवगत करने के लिए धन्यवाद !
डा. मृदुला शुक्ला सहित जनशब्द को बधाई ! अति सुंदर जानकारी के लिए ।
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