जहाँ देश के कुछ बड़े नगर बतौर साहित्यिक मंडी में तब्दील हो रहे हैं, बिहार की राजधानी अपनी उर्वर साहित्यिक परंपरा का निर्वाह करते हुए मंडीकरण की होड़ से खुद को बचाए रखा है। यहां से अभी प्रकाशित दो पुस्तकें क्रमश: बुतों के शहर में (कविता संग्रह) और दोआतशा (कहानी संग्रह) अपनी साज-सज्जा, छपाई व कलेवर में विश्व मानक से कम नहीं है।
दोआतशा (कहानी संग्रह), लेखक- सैयद जावेद हसन
कथाकार व संपादक सैयद जावेद हसन ने इस संग्रह में गुजरात दंगों के पहले और बाद राजनीतिक चालबाजियों को बेनकाव किया है, संग्रह की पहली कहानी 'सुलगते सफर में' तथा दूसरी कहानी 'छरहरी सी वो लड़की' , दोनों कहानियां गुजरात दगे के इर्दगिर्द घूमती है, कहानी को हकीकत मानने में बहस की गुंजाईश से इंकार नहीं किया जा सकता, लेखक का मकसद भी ऐसा ही दिखता है।
सहज शब्दों मे लिखी गयी मानवीय सवेदनाओं को स्पर्श करती इस संग्रह में प्रकाशित कविताएं समय की चाक पर रची गयी है, जिसे नजरअंदाज
करना मुश्किल है, बेहद! " बुतों के शहर में" की कुछ पंक्तियां -
हम अखबार के फलक पर रेंगते रहे
स्याह तस्वीरों की धूल साफ करते हुए
तस्वीरें सामने थी-
एक हंसता खिलखिलाता बच्चा
दादा की अंगुली पकड़
स्कूल जा रहा था
अंगुली छुड़ा उसे जबरन उठा लिया गया
शहर चिल्लाता रहा
सायरन बजाती गाड़ियां दौड़ती रहीं…।
- प्रस्तुति: अरविन्द श्रीवास्तव
4 टिप्पणियां:
is jaankaree ke liye dhanyvad apka blog bahut achha laga
सुंदर ब्लाग और ज़रूरी जानकारी।
मेरी बधाई स्वीकार करें।
खुशी की बात है हमारे अपने शहर में आज भी साहित्य जिन्दा है और हम अपनी परंपरा औऱ साहित्य को जिंदा रखे हुए है । बुतो का शहर इसकी एक मिसाल है । जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद
mujha app ka book bhaut acchi lagi amit anand,agni pustak bhandar(saharasa)
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