हबीब तनवीर ने भारतीय रंगमंच का चेहरा ही बदल डाला। वह एक रंगयोद्धा की तरह जीते रहे। उन्होनें अपने नाटकों के जरिए एक नया और भिन्न परिवेश को रखा एवं प्रगतिशील सांस्कृतिक आन्दोलन को सक्रिय भी किया। ये बातें रंगकर्मी जावेद अख्तर ने पटना के मैत्री-शांति भवन में बिहार प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा २ अगस्त को ’हबीब तनवीर का अवदान’ विषयक गोष्ठी में कही। आलोचक खगेन्द्र ठाकुर, डा. ब्रज कुमार पाण्डेय एवं राजेन्द्र राजन ने भी भारतीय रंगमंच को आबाद करने में हबीब साहब के अवदान को रेखांकित किया। बिहार प्रलेस की इस मह्त्वपूर्ण बैठक मे कथाकार अभय(सासाराम) कवि शहंशाह आलम(मुंगेर) अरविन्द श्रीवास्तव(मधेपुरा), पूनम सिंह(मुजफ्फरपुर), अरुण शीतांश(आरा) दीपक कुमार राय(बक्सर)और अरविन्द ठाकुर(सुपौल) ने भी अपने-अपने विचार रखे।
तस्वीर में हबीब साहब के साथ अरविंद श्रीवास्तव
5 टिप्पणियां:
हबीब साहब के योगदान को रंगमंच भुला नही सकता।
रक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
आभार इस जानकारी के लिये.
क्या नशेबो फराज थे तनवीर, जिन्दगी आपने गुजार ही दी ...
धन्यवाद जानकारी के लिये । ऐसे ही देते रहे साहित्यिक गतिविधियों की अद्यतन जानकारी।
पुखराज पर आने और उसकी रचना पसंद करने का धन्यवाद ..
हबीब जी के बारे मे इतनी जानकारी उपलब्ध करने के लिए धन्यवाद
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