tag:blogger.com,1999:blog-7001993692021220843.post2528222667418976324..comments2023-10-07T16:29:49.712+05:30Comments on जनशब्द: साहित्य से क्यों ओझल होता जा रहा ग्राम्यांचल? साहिती सारिका का ताजा अंकअरविन्द श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01248940700970757852noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7001993692021220843.post-84672928818174125392009-12-01T12:02:06.942+05:302009-12-01T12:02:06.942+05:30पञिका का कोई अंक अभी तक देख नहीं पाया हूं. लेकिन आ...पञिका का कोई अंक अभी तक देख नहीं पाया हूं. लेकिन आपकी पोस्ट इसे पढ़ने के लिए उतावला कर रही है. पञिका का पता भी नोट कर लिया है. धन्यवाद एवं बधाई.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7001993692021220843.post-38573465693783956332009-11-21T23:24:24.186+05:302009-11-21T23:24:24.186+05:30साहिती सारिका मेरी प्रिय पत्रिका रही है...आपने ता...साहिती सारिका मेरी प्रिय पत्रिका रही है...आपने ताजे अंक पर लिखकर बड़ा उपकार किया...बधाई व शुभकामनाएं...डा राजीव कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08291106005607927550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7001993692021220843.post-78933178721707093292009-11-20T17:59:19.696+05:302009-11-20T17:59:19.696+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.com